मुंबई (विशेष प्रतिनिधी)
महाराष्ट्र की राजनीती मे अचानक केंद्रीय मंत्री नारायणराव राणे के मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे के खिलाफ दिये हुये बयान से राजनीतीक हलचल बढ गयी है।नारायण राणे को पहले राज्यसभा का सदस्य बनाकर भाजपा के थिंक टॅंक ने महाराष्ट्र मे शिवसेना के खिलाफ साम, दाम,दंड भेद का भरपूर उपयोग करने की क्षमता वाला और कोंकण प्रांत मे भाजपा को मजबुत बनाने और साथ ही शिवसेना की जुबान मे उससे पंगा लेने वाले राणे को केंद्र मे मंत्री बनाकर उनको मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे के मुकाबिल खडा कर महाविकास आघाडी सरकार के मुखीया को टार्गेट कर सरकार पर एक तरफसे सिधे वार कर महाविकास आघाडी की कमजोर कडी को उजागर कर सत्ता पलट का अपना उद्देश्य साधना है।और हाल का राणे ,ठाकरे विवाद इस योजना की अधिकृत शुरुवात कही जा सक्ती है।साथ ही केन्द्र की सरकार मुंबई महानगर पालिका मे आने वाले आम चुनाव मे अपनी स्थिती मजबूत करने के लिये और ज्यादा से ज्यादा नगरसेवक चुनकर लाने के लिये सोची समझी रणनीती के तहत राणे बनाम ठाकरे विवाद को और हवा देकर अपने संघठण को मुंबई मे मजबूत कर शिवसेना का पर्याय देने मे भाजपा सक्षम है यह संदेश आम जनता को देना चाहती है।और दुसरी ओर शिवसेना मे फूट डालने के लिये और नाराज वरिष्ठ और ज्येष्ठ नेताओ की गतीविधियो पर भी नजर जमाये हुये है।राणे ठाकरे विवाद यह वह चिंगारी है जो कब मशाल का रूप ले यह कह नही सकते।केंद्र मे बैठे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व महाविकास आघाडी की सत्ता पलट का कोई भी मौका खोना नही चाहते या यु कहे की मौका बनाने के लिये ही राणे ने ठाकरे पर सीधा निशाणा साधा है!!!
Wait &watchN.S.S.