राडा ,राणा और शिवसेना..

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विशेष प्रतिनिधि

उद्धव बाला साहेब ठाकरे फ्लॉवर नही FIRE है।।

मुंबई,पक्षप्रमुख और मुख्यमंत्री की दुहेरी भूमिका निभाते हुए उद्धव बाला साहेब ठाकरे ने यह सिद्ध किया कि वक्त आने पर उनके आदेश पर शिवसैनिक राडा करने में पीछे नही हटते।।

मुंबई, महाराष्ट्र की राजनीति में रस्ते पर उतर कर सीधे संघर्ष करने वाली पहचान वाली शिवसेना का पीछले कई वर्षों से बदलता रूप दिखाई दे रहा था। शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव बाला साहेब ठाकरे ने जब से शिवसेना की कमान संभाली है उन्होंने शिवसैनिकों को संयम और धैर्य से आंदोलन करने की राह दिखाई साथ ही शिवसैनिकों का रास्ते पर उतर कर राडा यानी सीधे भिड़नापिछले कई वर्षों में कम ही दिखाई दिया। लोगो को यह लगने लगा कि अब शिवसेना में वह बात नही रही जो कभी बाला साहेब ठाकरे के दौर में हुआ करती थी यानी एकदम आक्रामक शैली।साथ ही जब से वह सत्ता में आई(भाजप सेना युति)काल से शिवसेना कुछ शांत हुई ।कई मौकों पर शिवसैनिक रास्तो पर उतरे मात उन्होंने संयमीत आंदोलन किया। इस से विरोधको में यह संदेश गया कि सेना अब बस नाम की रह गयी। लेकिन जिस प्रकार से भाजप के नेता और सहयोगी शिवसेना को बदनाम करने और चारो ओरसे घेरने की कोशिश कररही है।ऐसे में शिवसेना के फ्रंट लाईन के नेताओ ने जोरदार प्रतिरोध करते हुए। वही।पुरानी आक्रामक शैली दिखाई दि।अमरावती कीसांसद और विधायक पती पत्नी हो या मुंबई के भाजप के पूर्व सांसद किरीट सोमैया हो। इनसभी के आरोपो का शिवसेना ने अपनी शैली में जवाब देते हुए रास्ते पर उतर करआंदोलनकिया।इस राडा को देख कर राणा पती पत्नी ने अपना ड्रामा बंद करने की घोषणा की परंतु तब तक देर हो चुकी थी महाविकास आघाडी सरकार ने नवनीत और रवी राणा पर केस बनाकर इनको हवालात में भेज दिया। दरम्यान में राडा के बीच किरीट सोमैया गाड़ी लेकर पहुंचे उनकी गाड़ी के भी शीशे तोड़े गए।और उनके चेहरे पर बि मामूली चोट आई है जैसा फोटो में दिखाई दे रहा है। कभी एक दूसरे के साथ गले मे हाथ डालकर चलने वाले भाजप और शिवसेना अब कट्टर विरोधी की भूमिका है। पर इस सारी लड़ाई में शिवसेना के लिये यह सुखद समाचार है कि इसलड़ाई में शिवसैनिक पूरे जोश से दिखे ।18 साल के युवक से लेकर 80 साल की महिला भी रास्ते पर उतरी। सिर्फ उतरी नहीबल्कि विरोधको को आव्हान भी किया जो शिवसेना और शिवसैनिकों में नया जोश और ऊर्जा का काम करेगा। हमेशा विरोध में रहने वाली शिवसेना सत्ता में उद्धव बाला साहेब के नेतृत्व में आते ही शांत होगयी थी। इस भ्रम को तोड़ा और संघर्ष में वह कभी भी पीछे नहीं रहेगी यह संदेश इस राडा से दिया। अब यह तय है कि शिवसेना और भाजपा में वार पलट वॉर से आगे भी यह संघर्ष बढ़ेगा और इसका अंत कब होगा यह कहना मुश्किल होगा।


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