
प्रतिनिधि:वैशाली महाडिक
महाराष्ट्र के सांगली में उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। पिछले कुछ साल से बीमार थे।उनका प्रायवेट अस्पताल में इलाज चल रहाथा। आखरी सांस उन्होंने अस्पताल में ली।गरीब ,मजदूर,और घरेलू कामगारो के लिये।अपना जीवन का अधिक तर समय खर्च किया।साथ ही सीमा विवाद में संघर्ष के प्रणेता के तौर पर उनको जाना जाता है।साहित्यिक,लेखक,सामाजिक कार्यकर्ता, कुशल राजनेता गरीबो के हितों के लिए संघर्ष के लिए हमेशा उनको याद किया जाता रहेगा।
प्राध्यापक के तौर पर उन्होंने कार्य किया।सीनेट सदस्य से लेकर डीन तक का सफर उन्होंने तय किया।रयत शिक्षण संस्था के चेयरमन थे।
1948 में शेतकरी कामगार पक्ष में शामिल हुए।1957 को मिल कामगार संघटने के सचिव बने।
3 बार महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य चुने गये इस तरह 18 वर्ष उन्होंने विधान परिषद में मजदूर,किसान,घरेलू कामगारों की आवाज बुलंद की और उनसे जुड़े प्रश्न और समस्याओं पर लगातार काम किया।
1 बार 1985से 1990 में विधानसभा में चुने गये थे।
1978से 1980 तक सहकार।मंत्री थे।
उन्हें अनेको पुरस्कार,और सन्मान से समय समय पर सन्मानित किया गया था।